पेटेंटस़

पेटेंट कार्यालय द्वारा जारी किए गए किसी आविष्कार के लिए आविष्कारक को संपत्ति के अधिकार के अनुदान को पेटेंट कहते है│ अधिकतर यधपि पेटेंट आवेदक अन्वेषकों के अतिरिक्त कोई और ही होते हैं जैसे की नियोक्ता जिनमे अन्वेषक अपने अधिकार निहित कर देते हैं│ पेटेंट धारकों को  पेटेंट में वर्णित आविष्कार को बनाने, उपयोग या उसकी  बिक्री से दूसरों को बाहररखने का अधिकार है पेटेंट अधिकारका मूल आशय आविष्कार के जनक अथवा निर्माता को बिना किसी प्रतिस्पर्धा के विकास व्यय और स्टार्टअप लागत की वसूली का अवसर देना है│


पेटेंट उन आविष्कारों के लिए प्राप्त नहीं किये जा सकते जो कि सार्वजनिक तौर पर विदित हों अथवा पेटेंट आवेदन दायर करने के एक वर्ष पूर्व से अधिक समय में व्यावसायिक रूप से उपयोग और विपणन में हों│


यह निश्चित करने के लिए कि आवेदक के विचार कहीं पहले से ही पेटेंट तो नहीं किये जा चुके,एक भरपूर पेटेंट अधिमानतः एक पेशेवर तरीके से लगभग आवश्यक है│ पेटेंट अनुदान के आवेदन की सफलता के मूल पहलू अन्वेषण में i) नवीनता, ii) गैर-प्रत्यक्षता और iii) उपयोगिता हैं│


अस्थायी (प्रोविज़नल) आवेदन


अस्थायी आवेदन किसी आविष्कार के संपत्ति दावों के तात्कालिक उपाय की तरह है यह सस्ते में औपचारिक पेटेंट का दावा दायर किये बिना पेश किया जा सकता है │ इस तरह के आवेदन के एक वर्ष के भीतर आवेदक के पास औपचारिक पेटेंट आवेदन फाइल करने से पहले अपने अन्वेषण की व्यवहार्यता मार्केटिंग पेटेंट सम्भावना की जांच आविष्कार के लाइसेंस आदि की व्यवस्था के लिए एक अनूठा अवसर होता है │
भारत में एक पेटेंट की समय अवधि साल तक निर्धारित है │


भारत में पेटेंट के लिए आवेदन


एक पेटेंट के लिए आवेदन पेटेंट अधिनियम और नियमों द्वारा निर्धारित प्रारूप में की जानी चाहिए│ जिस अविष्कार का दावा किया जाना है उसका स्पष्ट रूप से एकअस्थायी अथवा पूर्ण विनिर्देशन वर्णित किया जाना चाहिए│


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पीसीटी और राष्ट्रीय चरण आवेदन!